नवदुर्गा रहस्य – 4
नवदुर्गा रहस्य 1, नवदुर्गा रहस्य 2, नवदुर्गा रहस्य 3 by Basudeba Mishra ॐ अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्र्चराम्यहमादित्यैरुत विश्र्वदेवैः।अहं मित्रावरुणोभा बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्र्विनोभा ॥अहंसोममाहनसं बिभर्म्यहं त्वष्टारमुत पूषणं भगम्।अहं दधामि द्रविणं हविष्मते सुप्राव्ये यजमानाय सुन्वते ॥ अव्ययपुरुष के रस भाग, जो दिग्-देश-काल से अपरिच्छिन्न है, सत्ता-चेतना-आनन्द (सच्चिदानन्द) रूपी सदा अपरिवर्त्तनीय धर्म से तथा बलभाग, जो दिग्-देश-काल से परिच्छिन्न है, नाम-रूप-क्रिया […]
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