उपनिषद-सम्बन्धित लेख (Upanishad related Articles)

उपनिषत् के आत्मा का स्वरूप

by Basudeba Mishra न प्राणमन्तरात्मेत्याख्यायते। तत्र वागुपहिता अथ वागेवेदं सर्वम्।यस्मान्न जातः परो अन्यो अस्ति य आविवेश भुवनानि विश्वा।प्रजापतिः प्रजया संरराणस्त्रीणि ज्योतींषि सचते स षोडशी।।शुक्लयजुर्वेद 8-36।। संसार में जो कुछ जातप्रपञ्च है, वह सव जिससे उत्पन्न हुये हैं – विना जिसके सव अनुपपन्न है – वह विश्व के सृष्टब्रह्म है, जिसे अपरब्रह्म भी कहते हैं। जो […]

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ईशोपनिषत् मन्त्रव्याख्या 2

अन्धं तमः प्रविशन्ति येऽविद्यामुपासते।ततो भूय इव ते तमो य उ विद्यायां रताः ॥ ये अविद्याम् उपासते ते अन्धं तमः प्रविशन्ति । ये उ विद्यायां रताः ते तमः भूयः तमः इव प्रविशन्ति ॥ इसका आक्षरिक अर्थ है, जो अविद्या का उपासना करते हैं वे घोर अन्धकार में प्रवेश करते हैं । जो केवल विद्या में ही

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ईशोपनिषत् मन्त्रव्याख्या 1

by Basudeba Mishra Ralph Griffith, Max Muller or Puqun Li are NOT authorities on the Upanishad. Ishopanishad or Ishaavaasyopanishad discusses about Brahmasatya and Devasatya starting from Amrhtaatmaa.  The first three Mantras are called Purushaatmaadhikarana and discuss about the totality that existed before creation. (पुरुषात्माधिकरण) The next Mantra (4th) is Avyaktaatmaadhikarana and discusses the state immediately

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