उपनिषत् के आत्मा का स्वरूप
by Basudeba Mishra न प्राणमन्तरात्मेत्याख्यायते। तत्र वागुपहिता अथ वागेवेदं सर्वम्।यस्मान्न जातः परो अन्यो अस्ति य आविवेश भुवनानि विश्वा।प्रजापतिः प्रजया संरराणस्त्रीणि ज्योतींषि सचते स षोडशी।।शुक्लयजुर्वेद 8-36।। संसार में जो कुछ जातप्रपञ्च है, वह सव जिससे उत्पन्न हुये हैं – विना जिसके सव अनुपपन्न है – वह विश्व के सृष्टब्रह्म है, जिसे अपरब्रह्म भी कहते हैं। जो […]
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