व्याकरणम् ।
व्याकरणम् । श्रीमद्वासुदेव मिश्रशर्म्मा। मुखं व्याकरणं स्मृतम् – व्याकरण वेद का मुखस्थानीय है । अर्थात् पदपदार्थज्ञानशक्ति है । व्यक्त, व्युत्पन्न एवं सार्थक शब्द ही संस्कृतभाषाको अन्यतरीभाषासे विशेष वनाता है । शब्द तथा अर्थका सम्पूर्ण समन्वय ही वागार्थ है । कोष तथा व्याकरणके द्वारा उस शब्दभण्डारकी सृष्टि तथा चयन एवं समीचिन प्रयोग का यत्किञ्चित शक्ति आती […]