सृष्टिरहस्य
सृष्टिरहस्य।– श्रीमद्वासुदेव मिश्रशर्म्मा कस्मिन्नु भगवो विज्ञाते सर्वमिदं विज्ञातं भवतीति ॥ मुण्डकोपनिषत् १.१.३ ॥ कुछ शिष्यों ने शौनक महर्षि से प्रश्न किया – वह कौन सी ज्ञान है, (Grand Unified Theory or Theory of Everything) जिसको जानने से सब कुछ जाना जा सकेगा । ऋषि ने उत्तर दिया – द्वे विद्ये वेदितव्ये इति ह स्म यद्ब्रह्मविदो […]