वैदिक अवतारवाद का वैज्ञानिक विश्लेषण
भगवद्गीता 4.7 में श्रीकृष्ण जी ने कहा है – “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।” जब जब धर्म का ग्लानिः (बल का नाश, रोग) होता है, अधर्म का अभ्युत्थान (वृद्धि) होता है, तब तब मैं ही अपने को (साकार रूप से) सृजन (सृ॒जँ॒ विस॒र्गे – प्रकट) करता हुँ (पृथ्वी पर अवतार लेता […]
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