रस बल से सृष्टि
श्रीवासुदेव मिश्र। निरंश संयुक्तवस्तुका (combined and spread-out particles without parts) एकसाथ रहकर स्थिर रहना (at equilibrium and at rest) आपः (आ॒पॢँ व्या॑प्तौ, आपॢँ लम्भ॑ने – आभिर्वा अहं इदं सर्वं आप्स्यामि यदिदं किं चेति तस्मादापोऽभवन्_ गोपथब्राह्मणम् पूर्व) कहलाता है ।जहाँ आपः का सम्यक् उद्रेक होता है, उसे समुद्र कहते हैँ (तां अस्येक्षमाणस्य स्वयं रेतोऽस्कन्दत् तदप्सु प्रत्यतिष्ठत्)।ब्रह्म […]