आधुनिक समाजमें वेद का प्रासङ्गिकता
वेदके प्रासङ्गिकता पर विचार करने से पूर्व, वेद क्या है, यह जानना चाहिये । ऋक्, यजुः, साम, अथर्व नामसे प्रसिद्ध चार पुस्तकें वेदशास्त्र है । यह वेद नहिँ है । वेद सामान्य है । वेदशास्त्र विशेष है । सामान्य, ज्ञान तथा मुक्ति का विषय है – प्रतिसञ्चर मार्ग है । विशेष, विज्ञान तथा सृष्टि का विषय है – सञ्चर मार्ग है । सत्ता महासामान्य है । इसीलिये ज्ञानको एक एवं अखण्ड कहा जाता है । अनेक से एक के प्रति गमन ज्ञान है । एक से अनेक के प्रति गमन विज्ञान है । “सर्व खल्विदं ब्रह्म” मुक्तिरूप ज्ञान मार्ग है । “ब्रह्मैवेदं सर्वम्” सृष्टिरूप विज्ञान मार्ग है । ज्ञान विज्ञान के विना अधुरा है । विज्ञान ज्ञान के विना अधुरा है । दोनों के समन्वय से ब्रह्म का पूर्ण ज्ञान होता है ।
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