Yoga

ASHTA SIDDHIS and other queries 1

Life is characterized by free-will, which is exhibited by independence for motion or action. Hence life is defined as the presence or absence of sense organs (सेन्द्रियं चेतन द्रव्यं निरिन्द्रियं अचेतनम्). The cause for this is the presence of the three types of अग्नि – वैश्वानर, तैजस and प्राज्ञ).

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जप क्या है।

समाहित चित्त (मन को किसी विषयमें संहृत करके), मन्त्र का अर्थ विचार करते हुए, अतन्द्रित (आलस्य रहित), तूष्णी (मौन) भाव से, माला के समान अनवच्छिन्न, न द्रुत न विलम्बित, उपांशु (अनुच्चस्वर से जब केवल होंठ हिलते हों परन्तु शब्द अन्य को सुनाइ न दे, ऐसे उच्चारण) अथवा मानस अक्षरावृत्ति (वार वार अभ्यास करने) को जप

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द्रष्टास्वरूप वर्णन – NATURE OF THE OBSERVER (PART -1)

द्रष्टा दृशिमात्रः शुद्धोऽपि प्रत्ययानुपश्यः। योगसूत्रम् साधनपाद -२०। द्रष्टा दृशिमात्र (चिन्मात्र – विशेषण के द्वारा अपरामृष्ट दृक् शक्ति), शुद्ध (त्रिगुण सङ्गवर्जित) होने पर भी प्रत्ययानुपश्य (बुद्धिवृत्तिका उपदर्शन कारक)। जो अपने स्वरूप में सदा स्थित रहता है, उसे प्रकृति कहते हैं। जो अपनी प्रकृति को त्याग कर अन्य प्रकृति दर्शाता है, उसे विकृति (परिणाम) कहते हैं।  विकार

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