भारतीय दर्शन

भारत के 6 आस्तिक (वैदिक) दर्शन और 6 मुख्य नास्तिक (अवैदिक) दर्शन माना गया है। कुछ लोग 3 आस्तिक (वैदिक) दर्शन और 3 नास्तिक (अवैदिक) दर्शन मानते हैं।

6 आस्तिक (वैदिक) दर्शन हैं – सांख्य, पूर्वमीमांसा, उत्तरमीमांसा, न्याय, वैशेषिक, योग। सृष्टि का आध्यात्मिक विवेचना (अव्यय का निरूपण) करनेवाला शास्त्र सांख्य है। विभिन्न ब्राह्मणम् ग्रन्थोंमें पायेजानेवाला तथाकथित विसङ्गतियों का मीमांसा करने वाला शास्त्र पूर्वमीमांसा है। विभिन्न उपनिषद ग्रन्थोंमें पायेजानेवाला तथाकथित विसङ्गतियों का मीमांसा करने वाला शास्त्र उत्तरमीमांसा है। उत्तरमीमांसा के ऊपर लिखा जानेवाला ग्रन्थ ब्रह्मसूत्रम् है, जिसे वेदान्त कहते हैं। यह सृष्टि का आधिदैविक विवेचना (अक्षर का निरूपण) करनेवाला शास्त्र है। कुछ लोग पूर्वमीमांसा और उत्तरमीमांसा को मिलाकर एक दर्शनशास्त्र मानते हैं। न्याय सर्व दर्शन के लिये प्रकृष्ट ज्ञानप्राप्ति के उपाय (research methodology) दर्शाता है। वैशेषिक सृष्टि का आधिभौतिक विवेचना (क्षर का निरूपण) करनेवाला शास्त्र है। योग मोक्षप्राप्ति का उपाय (प्रक्रिया) वतलाता है। इसलिये कुछलोग इसे अलग दर्शन नहीं मानते। सांख्य और योग को एक अपर का पूरक मान लेते हैं। उपरोक्त कारण से कुछलोग अव्यय, अक्षर और क्षर का प्रतिपादक सांख्य, मीमांसा और वैशेषिक को 3 आस्तिक (वैदिक) दर्शन मानते हैं।

3 नास्तिक (अवैदिक) दर्शन है – चार्वाक्, जैन और बौद्ध। बुद्ध के जीवद्दशा में ही बौद्धदर्शन का 18 से भी अधिक प्रकार से विवेचना किया जा रहा था। उन सवका 4 मुख्यदर्शन में अन्तर्भाव मान लिया जाता है – सौतान्त्रिक, वैभाषिक, माध्यमिक और योगाचार। चार्वाक् और जैन के साथ इन 4 बौद्धदर्शन को मिलाकर भारत के 6 मुख्य नास्तिक (अवैदिक) दर्शन कहा जाता है।

सांख्यदर्शन के 4 भेद है। वेदान्त के 8 भेद है। योग के 2 भेद है। वेद में कहीं भी जगत् मिथ्या (मथेँ वि॒लोड॑ने, मेथृँ॑ मेधाहिंस॒नयोः॑ वा + क्यप्) नहीं कहागया है। सत् अथवा सत्यम् का विपरीत असत् अथवा अनृत कहा गया है, जो मिथ्या नहीं है। शङ्कराचार्य ने बौद्धों को पराजित करने के लिये केवलाद्वैत का आश्रय लेकर ऐसा कहदिया था, जो वास्तव स्थिति से भिन्न है। अतः शङ्कराचार्य ने वैशेषिक के उपर अधिक चर्चा नहीं किया।

आत्मा, जीव, परमात्मा, जीवात्मा, प्राण, मन, श्वास, ह्रदय, ईश्वर, परमेश्वर – यह सव एक नहीं है। यह वहुत ही जटिल विषय है, जिसे संक्षेप में लिखा नहीं जा सकता।