प्रातः जगने से सोने तक के मन्त्र

भगवान मनु कहतें हैं धर्म की रक्षा करो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा । अब प्रश्न उठता है कि हम धर्म की रक्षा कैसे करें तो इसका उत्तर है अपने नित्य कृत्यों को जब हम शास्त्रानुसार करेंगे तो तो अवश्य है धर्म की रक्षा होगी इसलिए शास्त्र कहतें है ।

आचारप्रभवो धर्मो नृणां श्रेयस्करो महान्।
इहलोके परा कीर्तिः परत्र परमं सुखम्॥

अतः नीचे कुछ मन्त्र हैं जिनका आपका प्रयोग कर सकतें जो आपके जीवन को दिव्य बना सकतें जिससे वह बल और वेग आयेगा जो धर्म रक्षा करेगा। अतः स्वयं भी करें अन्यो को भी कहें कि वे आचरण में लायें।

( नोट : सभी के लिए है )

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#संस्कार०१ प्रातः जगने का मन्त्र –

उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ जगतः पते।
त्वयि सुप्ते जगत्सुप्तं उत्थिते चोत्थितं जगत्॥

हे गोविन्द, जगत् के स्वामी ! आप उठ जाएं, आपके सोने से संसार सो जाता है और जगने पर संसार भी जगता है।

(प्रातः आंख खुलने पर हाथ जोड़कर यह भाव से पढ़ें)

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#संस्कार०२ करदर्शन मन्त्र –

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्॥

हाथ के अगले भाग में लक्ष्मी, मध्य में सरस्वती तथा मूल भाग में ब्रह्मा का वास होता है, इसीलिए प्रातः करदर्शन करना चाहिए।

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#संस्कार०३ पृथ्वीस्पर्श मन्त्र – ( उठकर प्रथम चरण रखते ही )

समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥

हे विष्णुपत्नी पृथ्वी देवि ! आप समुद्र रूपी वस्त्र एवं पर्वत रूपी स्तनों से युक्त हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूँ। आप पर चरण रखने से जो अपराध हो रहा है, उसके लिए मुझे क्षमा करें।

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#संस्कार०४ दंतधावन मन्त्र –

आयुर्बलं यशो वर्चः प्रजाः पशुवसूनि च।
ब्रह्मप्रज्ञां च मेधां च त्वन्नो देहि वनस्पते !

हे वनस्पति ! आप हमें आयु, बल, यश, तेज, सन्तान, पशु, धन, ब्रह्मज्ञान और मेधाशक्ति प्रदान करें।

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#संस्कार०५ मल/मूत्र त्याग का मन्त्र –

गच्छन्तु ऋषयो देवाः पिशाचा ये च गुह्यकाः।
पितृभूतगणाः सर्वे करिष्ये मलमोचनम्॥

(यहां सूक्ष्मरूप से यदि कोई) देवता, ऋषि, पिशाच, गुह्यक, पितृगण, भूतगण आदि हैं तो कृपया वे चले जाएं क्योंकि मैं यहां मलत्याग करूँगा।

#संस्कार५ शुद्धि मृतिका एवं जल से :-

अश्वक्रान्ते रथक्रान्ते विष्णुक्रान्ते वसुन्धरे।
मृत्तिके हर मे पापं यन्मया पूर्वसञ्चितम्॥

वसुन्धरे तुम्हारे ऊपर अश्व और रथ चलतें हैं तथा वामन अवतार के समय विष्णु भगवान विष्णु ने भी तुंहें अपने पैरों से नापा था । मृतिके ! मैं करोड़ो जन्मों में जो पाप किया था तुम उन पापो को हर लो ।

( हाँथ पैर मिट्टी जल के योग से धो ले फिऱ कुल्ला करें और मुख को जल से धो लें )

【 विस्तृत विधि अगले लेख में 】

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#संस्कार०६ क्षौर करने का मन्त्र –

यन्मे केशेषु दौर्भाग्यं सीमन्ते यच्च मूर्द्धनि।
कूर्चश्मश्रुगतं पापं तं क्षुरेण निवर्तये॥

मेरे केशों में, मस्तक के अग्रभाग एवं ऊर्ध्वभाग में जो दुर्भाग्य है, दाढ़ी और मूंछ का आश्रय लेकर जो पाप स्थित है, उसे मैं इस छुरे से हटाता हूँ।

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#संस्कार०७ स्नान का मन्त्र –

अमृतस्यारणिस्त्वं हि देवयोनिरपां पते।
वृजिनं हर मे सर्वं तीर्थराज नमोऽस्तु ते॥

हे जलतत्व के स्वामी ! हे तीर्थराज ! आप अमृत के उत्पत्ति स्थान हैं, दिव्य हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूँ, आप मेरे दोषों का नाश करें।

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#संस्कार०८ शिखा-बन्धन का मन्त्र – (पुरुष)

चिद्रूपिणि महामाये दिव्यतेजःसमन्विते।
तिष्ठ देवि शिखामध्ये तेजोवृद्धिं कुरुष्व मे॥

हे चेतनामयी महामाये ! आप दिव्य तेज से युक्त हैं। आप मेरी शिखा के मध्य विराजमान होकर मेरे भी तेज की वृद्धि करें।

#संस्कार०८ (वेणी) चूड़ा-बंधन का मन्त्र – (स्त्रियों/कन्याओं के लिए )

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥

हे भगवती ! मुझे सौभाग्य, आरोग्य एवं परम सुख प्रदान करें। मुझे रूपवती बनाएं, मुझे विजय प्रदान करें, मुझे यशस्विनी बनाएं और विकार आदि शत्रुओं का नाश करें।

#संस्कार०८ शिखामोचन मन्त्र –

गच्छन्तु सकला देवा ब्रह्मविष्णुमहेश्वराः ।
तिष्ठत्वत्राचला लक्ष्मीः शिखामुक्तं करोम्यहम् ॥

सभी देवता, जिनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव प्रधान हैं, वे अब चले जाएं, केवल अचल भाव से लक्ष्मी देवी ही यहां रहें, मैं अब अपनी शिखा को बंधनमुक्त करता हूँ।

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#संस्कार०९ तिलक का मन्त्र –

चन्दनं वन्द्यते नित्यं पवित्रं पापनाशनम्।
आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीर्वसति सर्वदा॥

चन्दन प्रतिदिन वंदना (लगाने) के योग्य है, क्योंकि यह पवित्र है, पाप का नाश करने वाला है, आपदाओं को नष्ट करता है, इसमें सदैव लक्ष्मी का वास है।

#संस्कार०९ सिन्दूर का मन्त्र – ( स्त्री)

सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
सुखदं कामदं चैव सीमन्ते धारयाम्यहम्॥

यह सिन्दूर सुन्दर है, रक्तवर्ण का है, सौभाग्य और सुख की वृद्धि तथा प्राप्ति कराता है, इच्छाओं को पूर्ण करता है, अतएव इसे मैं मांग में धारण करती हूँ।

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संस्कार#१० सूर्यदेव को अर्घ्य देने का मन्त्र –

एहि सूर्य सहस्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर ॥

हे सहस्रों तेजःपुञ्जों से युक्त, संसार के स्वामी दिवाकर सूर्य ! ये मैं आपके लिए भक्तियुक्त होकर अर्घ्य निवेदित कर रहा हूँ, इसे ग्रहण करके मुझपर कृपा करें।

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#संस्कार११ विद्याध्ययन का मन्त्र –

सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विश्वरूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ॥

हे महान् सौभाग्य से युक्त, कमल के समान सुंदर विकसित विशाल नेत्रों वाली सरस्वती ! आप पूरे संसार में व्याप्त हैं, पूरा संसार आपमें स्थित है, हम आपको प्रमाण करते हैं, आप हमें विद्या प्रदान करें।

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#संस्कार१२ भोजन का मन्त्र –

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।
गृहाण सुमुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर॥

हे गोविन्द ! ये आपकी ही वस्तु है, और आपको ही समर्पित है। हे परमेश्वर ! आप इसे प्रसन्न होकर ग्रहण करें तथा मुझपर भी प्रसन्न हों।

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#संस्कार१३ दान-दक्षिणा का मन्त्र -( जब करें )

दक्षिणा सम्प्रदाने तु सर्वदोषो विनश्यति।
दानेन दह्यते सर्वं तस्माद्दानं विशिष्यते॥

दक्षिणा देने से सभी दोषों का नाश होता है। दान से सभी अशुभ भस्म हो जाते हैं, यही दान की विशिष्टता है।

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#संस्कार१४ औषधि सेवन का मन्त्र – ( जब करें )

अच्युतानन्त-गोविन्द-नामोच्चारण-भेषजात्।
नश्यन्ति सकला रोगाः सत्यं-सत्यं वदाम्यहम्॥

अच्युत, अनन्त और गोविंद, इन तीन भगवन्नामरूपी औषधियों के उच्चारण से सभी रोग नष्ट होते हैं, यह मैं सत्य सत्य कहता हूँ।

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#संस्कार१५ गृहस्थ जीवन की सफलता का मन्त्र –

श्रीवत्सधारिन् श्रीकान्त श्रीधामन् श्रीपतेऽव्यय ।
गार्हस्थ्यं मा प्रणाशं मे यातु धर्मार्थ-कामदम्॥

श्रीवत्स का चिह्न धारण करने वाले … लक्ष्मी देवी के प्रिय, पति एवं आश्रय, हे अविनाशी ! मेरी गृहस्थी का कभी नाश न हो तथा यह धर्म-अर्थ-काम की पूर्ति को देने वाला हो।

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#संस्कार१६ सोने का मन्त्र –

संसाराजगरं ज्ञात्वा वैराग्यं योऽकरोद्भुवि।
औदासीन्यं समाधिं च सुखं शेते हि मानवः॥

यह संसार अजगर के समान मुझे निगलने को तत्पर है, ऐसा समझ कर जो मानव संसार में रहते हुए ही वैराग्य को धारण करता है, सुख-दुःख, हानि-लाभ के प्रति उदासीन रखते हुए मन को ईश्वर के प्रति एकाग्र रखता है, वही सुखपूर्वक सो सकता है।

: ❗जय महादेव❗

⭕प्रश्न नहीं स्वाध्याय करें‼️

Source: Arun Dubey Jabalpur