Vedic science behind the names of the weekdays. – Shri Basudeba Mishra
वारों के नामका गणनाक्रम केवल भारतीय ज्योतिष के होरा पद्धतिसे जाना जा सकता है ।
राशिरर्धं होराप्रोक्तं के मतसे दिन-रात मिलाकर १२ राशियोंके भोग होनेसे इनका अर्ध २४ विभागवाला हो जाता है । एक होरा एक घण्टेका (hour) होता है । राशि अश्नुते व्याप्नोते (अशू व्याप्तौ) अर्थमें महाजागतिक भचक्रसे किरणपुञ्ज का अलग अलग गुच्छ का विभाग है – zodiac अथवा सूर्यके चारों और घुमनेवाली पृथ्वीका गतिपथ का विभाग नहीं है । भचक्र और zodiac एक नहीं हैं । इसलिये Computer गणना सठीक फल नहीं देते – केवल आंशिक रूपसे ठीक होते हैं ।
ग्रह शब्द गृह्णाति गतिविशेषानिति अथवा गृह्णाति फलदातृत्वेन जीवानिति अर्थमें अपने गति तथा माध्याकर्षण शक्तिसे पृथ्वीको प्रभावित करने वाला पिण्ड का बोधक है । ग्रह केवल ७ ही हैं । पाश्चात्य जगतके planet हमारे ग्रह नहीं हैं । इसीलिये हमारे लिये सूर्य, चन्द्र क्रमशः star और satellite होते हुए भी ग्रह हैं । परन्तु Uranus, Neptune, Pluto, planet होते हुये भी ग्रह नहीं हैं । जो मूर्ख लोग यह नहीं जानते, वे इनका फल गणना करके लोगोंको ठगते हैं तथा ज्योतिषशास्त्रको कलङ्कित करते हैं । आजकल के Computer के द्वारा बनाया गए कुण्डलियोंमें इनका प्रयोग वैज्ञानिक नहीं, मूर्खता है ।
भारतीय ज्योतिष के अनुसार, प्रथम होराके स्वामी सूर्य, द्वितीयके शुक्र, तृतीयके बुध, चतुर्थके चन्द्रमा, पाँचवेंके शनि, छठे के बृहस्पति और सातवें होरा के स्वामी मङ्गल क्यों होते हैं यह जानने के लिये ग्रहों का अपने घूरी पर घूर्णन काल जानना पडेगा । इस क्रममें चन्द्रमा, बुध, शुक्र, पृथ्वी, मङ्गल, बृहष्पति, शनि आते हैं । चूँकि हम गणना पृथ्वीको केन्द्रमें मानकर कर रहे हैं, इसलिये पृथ्वीके स्थानपर हम सूर्यको रख लेते हैं । कारण यह नहीं कि हम पृथ्वी को स्थिर तथा सूर्यको उसके चारों और घुमता हुआ मानते हैं – परन्तु पृथ्वी सूर्यके चारों ओर घूमें अथवा सूर्य पृथ्वीके चारों और घूमें, गणनामें कोइ अन्तर नहीं होता ।
तो इस क्रमसे चन्द्रमा, बुध, शुक्र, सूर्य, मङ्गल, बृहष्पति, शनि हुए । होरा कालमें इनका प्रभाव उल्टी दिशामें चक्रवत् घूमता रहता है – अर्थात इनका क्रम सूर्य, शुक्र, बुध, चन्द्रमा, शनि, बृहष्पति, मङ्गल होता है ।
सूर्योदयके प्रथम होरामें जिस ग्रहका प्रभाव रहता है, उसी ग्रहके नाम पर उस वारका नामकरण होता है। इसीलिये सप्ताहमें सात दिन होते हैं । सूर्यका अर्थ केवल हमारा सूर्य नहीं है, परन्तु सूयते अर्थमें Stars, Galaxies and galactic clouds भी हैं । सब ग्रह सूर्यसे उत्पन्न होनेके कारण सप्ता के प्रथम दिन के होरास्वामी सूर्य ही होता है । अतः सप्ताहके प्रथम दिवस उसीके नाम से जाना जाता है । सात घण्टेके पश्चात् वही क्रम पुनः चल पडता है । ऐसे २१ घण्टोंमें ३ चक्र पुरे हो जाते हैं । २२वें घण्टेका स्वामी सूर्य, २३वें घण्टेका स्वामी शुक्र, २४वें घण्टेका स्वामी बुध होता है । परवर्ती दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी चंद्रमा होता है । इसी प्रकार तृतीय दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी मङ्गल, चतुर्थ दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी बुध, पञ्चम दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी बृहष्पति, षष्ठ दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी शुक्र तथा सप्तम दिनके प्रथम घण्टेका स्वामी शनि होता है ।
इसी प्रकार सप्ताहके दिनों का नामकरण हुआ । वार शब्द वृ धातुसे वृञ् वर॑णे अथवा वृङ् सम्भ॑क्तौ अर्थमें वरण करने वाला अथवा विभाग करनेवाला होता है । प्रथम होरासे दिनका वरण तथा उसी क्रमसे सप्ताह का विभाग होता है । इसीलिये इसे वार कहते हैं।